SIDHI NEWS : ग्रामीण बच्चों को दिया जा रहा फाग गायन का प्रशिक्षण
SIDHI NEWS : हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान: विजय तेंदुहा में हुआ फगुआ जोहार का आयोजन
SIDHI NEWS : सीधी : बघेली बोली बानी के क्षेत्र विस्तार को देखें तो इसमें संपूर्ण विंध्य मेकल क्षेत्र आता है। जिसमें बघेली और गोंडी के भिन्न-भिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। यहां की आदिवासी और बादवासी संस्कृति में काफी विविधता है और यही विविधता बघेली बोली की विशेषता और पहचान है। यह पहचान कायम रहे इसके लिए मात्र लोक गीतों, का संकलन हो जाना ही कारगर प्रयास सिद्ध नही होगा बल्कि चाहिए की हमारी पुरातन लोक संस्कृति को आने वाली पीढ़ी सीखे, उसके अंदर भरी हुई जातीय हीन भावना नष्ट हो और अपनी पारंपरिक जीवन शैली के प्रति मोह हो द्य इसी दिशा में कार्य करते हुए अंगराग नाट्य एवं लोक साहित्य कला केंद्र लकोड़ा तथा उत्थान सामाजिक सांस्कृतिक साहित्यिक समिति सीधी के तत्वावधान में चुरहट, सीधी, सिंगरौली आदि जिलों में 21 दिवसीय फाग महोत्सव एवं होली मिलन समारोह का आयोजन कर रही है।
आयोजन के पांचवे दिन दिनांक 12 मार्च 2024 को संतोष कुमार द्विवेदी, सुनील तिवारी एवं भगवानदास के संयोजन में तेंदुहा ग्राम के वरिष्ठ फाग गायक लालसाय सिंह द्वारा छोटे बच्चों को दिए जा रहे फाग गायन का प्रशिक्षण की प्रस्तुति की गई। साथ ही यहां के वरिष्ठ लोक कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी और बच्चों के प्रशिक्षकीय प्रस्तुति पर अपनी राय व्यक्त की। दिनांक 10 मार्च से 23 मार्च तक लगातार शाम के 5 बजे से रात के 8 बजे तक भगवान सिंह तेन्दुहा के सहयोग से श्याम लाल सिंह मास्टर साहब के घर में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें छोटे बच्चों के को फाग गायन का प्रशिक्षण देकर उनके द्वारा ही फगुआ की प्रस्तुति कराई जा रही है।
इस प्रशिक्षण शिविर में नवीन सिंह, मनोज सिंह, सौरभ सिंह, विकास सिंह, रघुवीर सिंह, पवन सिंह, भोलू सिंह आदि बच्चे भाग ले रहें हैं तो वहीं फाग प्रशिक्षण कार्यक्रम में श्रोता एवं अभिवावक के रूप में दिलराज सिंह, रामसुंदर सिंह, लाला सिंह सुग्रीव सिंह, लखन सिंह, लाल देव सिंह, बच्चू लाल सिंह उपस्थित रहते हैं। ऐसे प्रशिक्षण निश्चित रूप से हमारी फाग गायन परंपरा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएंगे और यही इस महोत्सव का उद्देश्य और निष्कर्ष होगा। आगामी 28 मार्च तक यह महोत्सव चुरहट, सिहावल, सीधी, सिंगरौली के कुल 21 ग्रामों मनकीसर, बाघड़, लकोड़ा, चुरहट, मोहनिया, बघमरिया, लहिया, लउआ, पोखरा, खोंचीपुर, पतुलखी, रोंदों, बरबँधा, ओबरहा, हथिनापुर, रामपुर, भुइंयाडोल, गांधीग्राम, कोचिला, हरिहरपुर, बेलहा में आयोजित होगा। कार्यक्रम का प्रयोजन अखिलेश पाण्डेय, कमलेंद्र सिंह डब्बू एवं विजय सिंह लकोड़ा ने किया है। 21 दिवसीय फाग महोत्सव के छठवें दिन का कार्यक्रम सिंगरौली जिले के हरिहरपुर ग्राम में होगा। जहां नरेंद्र सिंह सीधी द्वारा इस क्षेत्र के फाग गायन कलाकारों द्वारा गाए जाने वाले विविध फाग गीतों का संकलन किया जाएगा। संकलित फाग गीत आगामी दिनों में बघेली लोक सम्पदा खण्ड 7 फगुआ पुस्तक रूप में हम सबके बीच होंगे। इस खण्ड में बघेलखंड क्षेत्र में गाए जाने वाले विविध फाग गीत संकलित रहेंगे। जिसमें उचटा, डग्गा, लेजम, बुंदेली, बैसवारा, होरी, धूल उडऩ, नारदी, उचटा तिनताला, दहंका, राई आदि हैं।
हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान: विजय
फाग महोत्सव के प्रायोजक विजय सिंह लकोड़ा ने कहा कि अंगराग एवं उत्थान समिति का यह बहुउद्देशीय आयोजन निश्चित ही हमारी फाग गायन परंपरा को जन जन तक पुन: पहुंचाने और उसे नव जीवन प्रदान करने में सफल हो रहा है। हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान है। हमारी मौलिकता हमारी बघेली बोली में है और बघेली बोली की मौलिकता उसके विविधता पूर्ण जीवनशैली, सांस्कृतिक स्वरूपों और उसकी इंद्रधनुषीय कलारूपों से है। यह कलारूप यह सांस्कृतिक पृष्टभूमि हमारी बोली में रची बसी रहे। इसके लिए हम सबको उन्मुक्त मन से इसके संरक्षण, संवर्धन और प्रदर्शन के कार्यों में लगे लोगों का सहयोग करना चाहिए। बघेली बोली इस क्षेत्र की मौलिकता है और यह मौलिकता सदा सदा तक अक्षुण्य रहनी चाहिए ऐसा हम सबका प्रयास हो।
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