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Holi 2023: जानिए होली पर लोग क्यों पीते है भाँग?

होली के पर्व पर लोग पीते है भाँग, कई जगह तो जमकर पी जाती है शराब
Holi 2023: Know why people drink cannabis on Holi?

Holi Celebration with Bhang : भारत में रंगों के त्यौहार होली को धूमधाम से मनाया जाता है, इस वर्ष होली 8 मार्च को मनाई जा रही है। एक तरफ जहाँ कुछ लोग मिलकर खूब रंग लगाते हैं, तो वहीं कुछ लोग भांग और शराब का सेवन करते हैं। जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कई बार नशे में होने की वजह से ही होली त्यौहार में बड़ी बड़ी घटनाएं हो जाती हैं। आइए जानते हैं आखिर होली के दिन भाँग क्यों पी जाती है……

Holi 2023: Know why people drink cannabis on Holi?in details

होली में भांग पीने की परंपरा को भगवान शिव और विष्णु से जोड़कर देखा जाता है. कहा जाता है कि जब प्रहलाद को मारने के लिए उसके पिता हिरणकश्यप ने तरह-तरह के प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हुए. इसके बाद हिरणकश्यप का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया. हिरणकश्यप का वध करने के बाद भी भगवान नरसिंह का गुस्सा शांत नहीं हुआ.

उनको शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया. भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को भगवान शिव के शरभ अवतार ने हरा दिया. इसके बाद भगवान नरसिंह का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने अपनी छाल को भगवान शिव को आसन के तौर पर दे दिया. भगवान शिव के जीत की खुशी में कैलाश पर उत्सव मनाया गया और उस दौरान भांग भी बाटी गई जिसे पीने के बाद सभी शिवभक्त झूमने लगे थे और उस समय से ही भांग का चलन होली के दौरान बढ़ गया.

होली पर भांग पीने की परंपरा है. भांग पीना शास्त्रीय परंपरा नहीं है. भांग नशा है. होली उत्साह और उमंग का पर्व है इसमें नशा का कोई स्थान नहीं है. होली के दिन भांग और शराब से दूर रहें. प्राचीन काल में होली को विवाहित महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि के लिए मनाती थीं. होली के दिन पूर्ण चंद्रमा की पूजा करने की परंपरा थी.

वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था. प्राचीन समय में खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लेने का विधान था. अधपके अन्न को होला कहते हैं, इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा.

Holi celebration with bhang

आर्यों में भी होली पर्व का प्रचलन था. होली अधिकतर पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था. होली का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है. जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र, नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे ग्रंथों में भी होली का उल्लेख मिलता है. प्राचीन समय में होली को रंगोत्सव कहा जाता था. विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ में स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी होली का उल्लेख है. संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव कवियों के प्रिय विषय रहे हैं.

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