रीवा

श्री चिरहुला नाथ मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण का आज द्वितीय दिवस

………जय श्री कृष्ण…….
चैतन्य वृंदावन में तीन परिधि.. बाला शास्त्री …

रीवा (Rewa News ): श्री चिरहुला नाथ मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस कथा व्यास पंडित बाला व्यंकटेश शास्त्री जी ने सृष्टि विस्तार का वर्णन करते हुए बताएं कि

वृंदावन और काशी यह मृत्युलोक का हिस्सा नहीं है काशी भगवान श्री शिवजी के त्रिशूल में बसी है एवं वृंदावन मां राधा रानी की गोद में वृंदावन की व्याख्या करते हुए शास्त्री जी बताएं कि चैतन्य वृंदावन में प्रवेश करने के लिए तीन परिधि को समझना बहुत आवश्यक होता है.

चैतन्य वृंदावन की तीन परिधि है सत रज और तम इसीलिए ब्रह्मा जी वृंदावन के तीन परिक्रमा ही किए थे क्योंकि वह वृंदावन की तीन परिधि को समझते थे जो वृंदावन की तीन परिधि को नहीं समझ पाए वह वृंदावन में प्रवेश नहीं कर पाते है इसके बाद शास्त्री जी भगवान वाराह का प्राकट्य हिरण्याक्ष का उद्धार पृथ्वी की स्थापना ब्रह्मा जी के शरीर से मनु और सतरूपा जी की उत्पत्ति मैंथुनी सृष्टि

कर्दम देबहुति का विवाह एवं कपिल भगवान का प्राकट्य कपिल भगवान के द्वारा अपनी मां देवहूति को सांख्य योग अष्टांग योग भक्ति योग में भक्ति की श्रेष्ठता का वर्णन कर बताएं कि जो जीव भक्ति का आश्रय ले लेता है उसे फिर इस संसार में भटकना नहीं पड़ता है इसके बाद शास्त्री जी ने जीव के गर्भ गत स्थिति का वर्णन कर सती चरित्र एवं अंत में ध्रुव जी के प्रसंग का बड़े ही विस्तार से वर्णन किए.

ध्रुव जी का प्रसंग श्रवण करते समय सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए इस अवसर पर श्री चिरहुला नाथ जी के प्रमुख सेवक श्री गोकर्ण स्वामी टोनी महाराज बृजेंद्र शुक्ला शिवाकांत द्विवेदी सुरेश दुबे इंद्रमणि शुक्ला बालक दास जी विकास पांडे आचार्य कृष्ण कांत द्विवेदी एवं काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण किये आयोजक समिति ने बताया

कि कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बुधवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा एवं कथा का समापन 1 जनवरी को भंडारे के साथ किया जाएगा.

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