विंध्य

Sidhi News :गांव-गांव में गूंज रहे हैं फाग एवं होली गीत

Sidhi mp news : अंगराग एवं उत्थान समिति कर रही गांव-गांव में फागोत्सव का आयोजन

बरबंधा लोक कलाकारों ने फाग गीतों की दी मनमोहक प्रस्तुति

गांव-गांव में गूंज रहे हैं फाग एवं होली गीत

अंगराग एवं उत्थान समिति कर रही गांव-गांव में फागोत्सव का आयोजन

Sidhi news : सीधी विध्य में फागुल लगते ही गांव-गांव में फाग गीतों एवं नगडिय़ा की थाप सुनाई देने लगती है। पूरे महीने गांव के लोक कलाकार अपनी फाग गीतों की टोली लेकर घर-घर में फाग गीतों का गायन कर उत्सव मनाते हैं।

 

Sidhi news

 

लोक कलाकारों को संगठित करने और फाग परंपरा को आगे बढ़ाने व विस्तार करने के उद्देश्य से अंगराग नाट्य एवं लोक साहित्य कला केंद्र लकोड़ा एवं उत्थान सामाजिक सांस्कृतिक साहित्यिक समिति सीधी के तत्वावधान में चुरहट, सीधी, सिंगरौली आदि जिलों में आयोजित होने वाले 21 दिवसीय फाग महोत्सव एवं होली मिलन समारोह के तीसरे दिन दिनांक 9 मार्च 2024 को संतोष कुमार द्विवेदी के संयोजन में लोक कलाग्राम बरबंधा में फगुआ जोहार कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

 

 

 

इस अवसर पर फाग गायन कलाकारों के रूप में संतोष द्विवेदी, रणदमन सिंह, शिव मोहन सिंह, हरी सिंह, बृहस्पति सिंह, हिर्दन सिंह, भैयालाल सिंह, महाबली सिंह, सोनकली सिंहए, जिवरन देवी, श्यामवती सिंह, बच्छूलाल सिंह, भगवान सिंह, विनोद द्विवेदी, विजय सिंह तेन्दुहा आदि की उपस्थिति रही एवं डग्गा, लेजम, चौताल, उचटा आदि की प्रस्तुति की गयी एवं इस मौके पर बरबंधा गांव के दर्जनों गणमान्य नागरिक एवं श्रोता उपस्थित रहे। यह महोत्सव चुरहट, सिहावल, सीधी,

 

 

सिंगरौली के कुल 21 ग्रामों मनकीसर, बाघड़, लकोड़ा, चुरहट, मोहनिया, बघमरिया, लहिया, लउआ, पोखरा, खोंचीपुर, पतुलखी, रोंदों, बरबँधा, ओबरहा, हथिनापुर, रामपुरए, भुइंयाडोल, गांधीग्राम, कोचिलाए, हरिहरपुर, बेलहा में आयोजित होगा। कार्यक्रम का प्रयोजन अखिलेश पाण्डेय, कमलेंद्र सिंह डब्बू एवं विजय सिंह लकोड़ा ने किया है। 21 दिवसीय फाग महोत्सव के चौथे दिन का कार्यक्रम सीधी के बकबा ग्राम में होगा, जहां आप सब उपस्थित होकर बघेली फाग गायन का आनंद ले सकते हैं।

 

 

बघेली फाग को संरक्षित करने की हो सार्थक पहल: नरेंद्र

हमारे लोकगीतों की बुनावट साझी संस्कृति और साझे राग की है। वैसे हमारे लोक में पूरे वर्ष लोकगीत गाए जाते हैं एवं साथ ही विंध्य क्षेत्र में निवासरत विविध जातियों के जातीय गीत भी हैं। इधर बसंत के आगमन के साथ ही लोक की सबसे उर्जावान गायकी फाग गायन की शुरुआत हो जाती है। फाग अनहद नाद है। जब फाग गायन होता है तो पूरी ऋतु यह गीत गाती है। हमे लगता है हमारे लोक गीतों को अब मोबाइल या अन्य आभासी संसाधनों पर ज्यादा सुना जा रहा है। दर्शक या श्रोता कलाग्रामों या कलाकारों तक जाने की जहमत नहीं उठा रहे ऐसे में हम अपनी लोक संस्कृति, कलाओं को जीवित रहने या पल्लवित पुष्पित होते रहने की अपेक्षा बिलकुल न करें। हमारी लोक कलाएं हमारी विविध जातिगत जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं।

 

 

 

इन तमाम आभासी संसाधनों ने इसकी जीवंतता के लिए खतरे तो निश्चित तौर पर खड़े कर दिए हैं लेकिन हम अपनी कलाओं के प्रति और उनसे जुड़ी जीवन शैलियों में सशरीर आस्था रखते हैं तो यह कलारुप आगे आने वाले दिनों तक बचे रहेंगे। यह गीत कवियों एवं गीतकारों के नही रहे हैं। यह आम जनों के बीच उपजे और गाए जाते रहे हैं। इन गीत जीवन शैली के अभिन्न हिस्से हैं इसलिए हमारा पूरा लोक समाज सुरीला रहा है।

 

Rewa Ratahra talab News : रीवा के नव विकसित रतहरा तालाब का नजारा देख हैरान हुए लोग

 

Leave a Reply

Related Articles