रीवा

MP WHEATHER UPDATE : मौसम विभाग के चेताने के बावजूद सो रहा जिला प्रशासन, लाखों रुपए की धान भींगकर हुई नष्ट

MP WHEATHER UPDATE : अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह लाचार दिख रहा है रीवा जिला प्रशासन

रीवा (Rewa News ): रीवा जिले में 28 दिसंबर को बारिश होने से धान खरीदी केंद्रों में किसानों की मेहनत से उगाई हुई धान जिला प्रशासन की नाकामियों के कारण चौपट हो गई,

लाखों रुपए की धान नष्ट हो गई.

MP WHEATHER UPDATE : अब आप यह मत सोचिए गा की
अचानक बारिश होने से खरीदी केंद्रों में धान नष्ट हो गई तो प्रशासन का क्या दोष??

आप गलत समझ रहे हैं

क्योंकि यह सब कारनामा जिला प्रशासन की नाकामियों का जीता जागता उदाहरण है,

अगर यह कह दे कि जानबूझकर धान को भींगने दिया गया और जिम्मेदार आंख मूंदकर सो गए तो गलत नहीं होगा.

मौसम विभाग ने अलर्ट किया था कि मध्य प्रदेश के रीवा सहित कुछ जिलों में 28 और 29 दिसंबर को बारिश होगी.

और जब कि जिला प्रशासन को यह पता है कि इस समय खरीदी केंद्रों में धान की खरीदी की जा रही है,

तो जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश क्यों नहीं दिए गए?

फोटो में आप देख सकते हैं कि किस तरह से बारिश के कारण धान भीग कर नष्ट हो रही. और जिला प्रशासन मस्त चैन की नींद सो रहा है.

अच्छी खासी सैलरी, गाड़ी बंगला पाने वाले अधिकारियों को क्या मालूम कि कितनी मेहनत से किसान फसलों को उगाकर समर्थन मूल्य पर सरकार को बेचता है.

बारिश के कारण जो धान नष्ट हुई है, वह सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण हुई है.

तो सवाल खड़ा होता है कि जिन आम जनता के ऊपर तरह-तरह के नियम कानून थोप दिए जाते हैं, बिजली बिल जमा न होने पर कनेक्शन काट दिया जाता है,

ट्रांसफार्मर जल जाने पर जब तक संबंधित क्षेत्र के रहवासियों द्वारा बिल नहीं भरा जाता तब तक नया ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जाता,

तो प्रशासन की गलती से अगर आज लाखों रुपए की धान बारिश के कारण नष्ट हो जाती है,
तो क्या यह सवाल नहीं उठता की लापरवाह अधिकारियों से इस नुकसान की भरपाई की जाए?

कहने को तो धान खरीदी केंद्र पर किसानों के रुकने और तमाम सुविधाओं के वादे किए जाते हैं,

पर कलेक्टर जिले में किसी भी धान खरीदी केंद्र में चले जाएं तो असलियत जान हैरान रह जाएंगे.

पर कलेक्टर के पास इतना काम थोड़ी है, की धान खरीदी केंद्रों का निरीक्षण कर असलियत जाने??

कलेक्टर के पास इतना समय रहता है कि तथाकथित सामाजिक संगठनों के छोटे-मोटे कार्यक्रम में भी शरीक होते हैं,

नेताओं के छोटे-मोटे निरीक्षण पर हर वक्त मौजूद होते हैं.

यह गलत भी नहीं है उन्हें हर जगह जाना चाहिए.

पर क्या जिले का कलेक्टर लाखों रुपए की किसानों की पैदावार को नष्ट होते कैसे देख सकता है?

अगर धान सरकार के द्वारा खरीद भी ली गई है और धन नष्ट हो जाती है तो इस नुकसान की भरपाई कहां से होगी?

जाहिर है जनता के ऊपर तमाम तरह के थोपे गए टैक्स से होने वाली कमाई से इस नुकसान की भरपाई की जाएगी.

तो फिर जिले का कलेक्टर किस काम का

\

आप जानते हैं कि जिले का कलेक्टर बनने से पहले एक कठिन परीक्षा पास करके, एक लंबी ट्रेनिंग से गुजरना होता है,

जिनकी ट्रेनिंग और सुविधाओं पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, और इसलिए करती है कि जब यह अधिकारी किसी जिले के कलेक्टर के रूप में काम करेगा, तो जिले में हो रही तमाम गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखेगा, कलेक्टर को कोई काम स्वयं नहीं करना पड़ता,

कलेक्टर के नीचे तमाम अधिकारी कर्मचारी होते हैं, जिन को आवश्यक दिशा निर्देश देकर चीजों को ठीक कर सकता है, आदेश न मानने पर निलंबित कर सकता है.

खैर जो भी हो, जो लाखों रूपये की धान बारिश से खराब हुई है,
उसकी भरपाई आपको ही करना है. किसी ना किसी रूप में आपसे टैक्स वसूल लिया जाए.

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#MP WHEATHER UPDATE,

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