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SATNA NEWS रैगांव उपचुनाव में बीजेपी ने जिसे उम्मीदवार बनाया, नहीं लिख पाती शुद्ध हिंदी!.. ऐसे हुआ खुलासा

राजकुमार पाण्डेय की कलम से

सतना /रैगांव (Satna News ): बीजेपी ने जिस प्रतिमा बागरी को अपना उम्मीदवार बनाया है, उनसे शुद्ध हिंदी लिखते ही नहीं आता, सोशल मीडिया में लोग ले रहे है मजे…

SATNA NEWS आपको जानकर आश्चर्य होगा कि
बीजेपी की ओर से रैगांव विधानसभा से प्रतिमा बागरी ने जो पर्चा दाखिल किया है, उसमें एक नीचे के कॉलम में अपनी आय के नीचे पति की आय में ‘शून्य’ दर्शाया है, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि ‘शून्य ‘ को अशुद्ध लिखा गया है।

नीचे कॉलम में उन्होंने शून्य को “सून्य ” लिखा है जोकि की अशुद्ध है ।

SATNA NEWS कोई भी उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करने से पहले दी गई जानकारी को अच्छे से भरता है,

क्योंकि कई बार ऐसा हो जाता है की गलत जानकारी जानबूझकर या अनजाने में दिए जाने पर या त्रुटि होने पर चुनाव आयोग पर्चा खारिज कर देता है।

सोशल मीडिया में लोग प्रतिमा बाबरी के नामांकन को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं. और नामांकन रद्द करने की बात कर रहे है ।

हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो यह सामान्य त्रुटि है, और उम्मीदवार अक्सर ऐसी गलतियां करते रहते हैं, जिस पर चुनाव आयोग भी ध्यान नहीं देता।

क्या मतदान में बीजेपी को होगा नुकसान

सोशल मीडिया में कई सामाजिक संगठनों के लोग नामांकन को शेयर कर बीजेपी उम्मीदवार पर सवाल खड़े कर रहे हैं,

क्योंकि आज सोशल मीडिया का जमाना है, और हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है, और यह छोटी-छोटी बातें भी आम मतदाता तक पहुंच जाती हैं, इसका असर भले ही कम हो, पर मतदान में बीजेपी को नुकसान होता है ।

एक ही परिवार से उतरे पांच लोग मैदान पर

रैगांव विधानसभा सीट से जुगल किशोर के परिवार बेटे बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, मगर बीजेपी ने प्रतिमा बागरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रतिभा की उम्मीदवारी से जुगल किशोर बागरी के परिवार के सदस्य खुश नहीं हैं और उनके नाते रिश्तेदार भी मैदान में आ गए हैं।


बीजेपी से टिकट न मिलने पर जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज नाराज हुए और उन्होंने बगावत का फैसला कर डाला। वे तो नामांकन भी भर चुके हैं, इतना ही नहीं उनके छोटे भाई की पत्नी वंदना देवराज बागरी ने भी निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही बीजेपी की उम्मीदवार प्रतिमा बागरी के रिश्ते के चाचा पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह धीरू ने भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया है।
इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य रानी बागड़ी ने भी नामांकन भर दिया है। इस तरह बीजेपी के उम्मीदवार सहित बागरी परिवार के नाते रिश्तेदार कुल पांच लोग मैदान में हैं/

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित

रैगांव विधानसभा सीट की बात करें तो यहां होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी पूरे उफान पर है. ये सीट बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद खाली हुई है. सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में तो कड़ी टक्कर रही ही है. साथ ही इसपर बहुजन समाज पार्टी भी बड़ी चुनौती दे चुकी है. हालांकि इस सीट को बीजेपी की दबदबे वाली सीट माना जाता है. 2018 में भी बीजेपी के जुगल किशोर बागरी ने यहां बड़ी जीत हासिल की थी. हालांकि इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां बसपा ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 के चुनाव में बसपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी.

क्या है इस सीट के मुद्दे

ग्रामीण बाहुल्य रैगांव सीट के विकासकार्यों पर नजर डालें तो इलाका काफी पिछड़ा नजर आएगा. इसी के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, सड़कें और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा सीट के मुख्य मुद्दे हैं. यहां आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. बेहतर इलाज के लिए क्षेत्र के लोगों को सतना या दूसरे शहरों में जाना पड़ता है. इसके अलावा शिक्षा, सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर भी यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी गई है.

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