राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय

Joshimath Sinking : क्यों धस रहा है जोशीमठ

Uttarakhand News Joshimath : साल दर साल जोशीमठ धस रहा है प्रतिवर्ष, 

Joshimath Sinking News ऐतिहासिक और धार्मिक शहर जोशीमठ धंस रहा है, 88 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से और पूरी संभावना है कि काल के गाल में समा ही जायेगा। इसे ज्योर्तिमठ भी कहते हैं,

Why Joshimath Sinking : यहीं परम पूज्य श्री आदि शंकराचार्य ने मठ स्थापित किया था, यहीं बाबा बद्रीनाथ सर्दियों में विराजते हैं, यह बद्रीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब आदि के लिए शुरुआती स्थल है। लेकिन इन समस्त भावनाओं का आधार स्थल खतरे में है। एक नजर डालते हैं कि शहर भौगोलिक दृष्टि से इतना संवेदनशील क्यों है।





Why Joshimath sinking

reason behind Joshimath Sinking

  1. शहर gneiss आदि चट्टानों के बोल्डर और मिट्टी के कमजोर मिश्रण पर टिका है और हमेशा से ही लैंडस्लाइड के लिए संवेदनशील रहा है।
  2. यहां भारी बारिश होती है और अलकनंदा, धौलीगंगा आदि बड़ी नदियों ने अपना विस्तार और मार्ग में बदलाव किया है जिससे पहाड़ की जड़ और कमजोर हो रही।
  3. यह सीस्मिक जोन 5 में आता है और छोटे भूकंप आम हैं जिससे कमजोर पहाड़ लगातार और कमजोर हो रहा।
  4. वैकृता थ्रस्ट ठीक शहर के नीचे है अतः किसी बड़े भूकंप की स्थिति में तबाही तय है।
  5. मेन सेंट्रल थ्रस्ट शहर के बगल में हेलंग के नीचे है (यही कारण है कि हेलंग बायपास का काम भी फिलहाल रोक दिया गया है)।

आप समझ गए होंगे कि ऐसे क्षेत्र में न्यूनतम निर्माण और बसावट होनी चाहिए लेकिन हो रहा उल्टा। आज अधिकतर हिल स्टेशन बेतरतीब अनियोजित निर्माण से कराह रहे हैं,

जिसमें सबसे बड़ी समस्या है समुचित सीवर व्यवस्था का अभाव। हिमालय क्षेत्र जहां जमीन वैसे ही कमजोर है वहां घरों से निकला सीवर जल जमीन को और कमजोर कर रहा, जोशीमठ में भी यही समस्या है।

Joshimath News : लेकिन यह तो कुछ भी नहीं, पहाड़ के जड़ पर लगातार विस्फोट जारी है, जल विद्युत परियोजना के टनल निर्माण हेतु। लोग आज से नहीं दशकों से विरोध कर रहे कि हिमालय में बड़ी जल विद्युत परियोजना नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त 1962 के चीन युद्ध के बाद चीन की तरफ जाने वाले हिमालयी मार्गों पर ध्यान दिया जाने लगा और मोदी सरकार के कार्यकाल में इसमें भारी इज़ाफा हुआ है।

Joshimath sinking News : चूंकि यह चारधाम परियोजना का भी हिस्सा है, भारी पैमाने पर सड़कों हेतु विस्फोट हुए हैं। भविष्य सुनहरा देखकर लोगों ने घर, दुकान, होटल भारी मात्रा में बना रखा है। मेरी समझ है कि चीन को देखते हुए रोड जरूरी हैं, पर्यटन से जुड़े रोजगार देखते हुए समुचित अवसंरचना भी जरूरी है.

लेकिन बड़ी जलविद्युत परियोजना रुकनी चाहिए और बसावट वैज्ञानिक तरीके से होनी चाहिए। विज्ञान के पास हल है लेकिन उसका उचित क्रियान्वयन होना चाहिए। कथाओं के अनुसार जब नर और नारायण नामक पर्वत मिल जायेंगे तो बद्रीनाथ जाने का मार्ग बंद हो जाएगा.

(क्योंकि बद्रीनाथ धाम इन्हीं दो पर्वतों के बीच है) और तब बाबा बद्री जोशीमठ में ही विराजेंगे हमेशा के लिए, लेकिन अभी तो जोशीमठ पर ही खतरा आ गया! एक इंसान के तौर पर, इतिहास और धर्म में रुचि रखने वाले के तौर पर पीड़ादायक स्थिति है, उम्मीद है कि कुछ अच्छा होगा।

ALSO READ Plain Crash In Rewa MP: रीवा में ट्रेनी प्लेन हुआ क्रैश, एक पाइलट की मौत

#joshimath sinking news, #why Joshimath sinking,

Leave a Reply

Related Articles