
भू-माफियाओं ने सिंगरौली सीधी से लेकर रीवा तक खेली भ्रष्टाचार की लंबी पारी
भू-माफियाओं के मुआवजे के चक्की में पिस रहे असली किसान
सिंगरौली ललितपुर रेल लाइन के दोहरे मुआवजे के फिराक में है भू-माफिया एक ही तारीख में हजारों एकड़ जमीन का फर्जी जरिए विक्रय पत्र का हवाला देकर करा दिया गया नामांतरण
फिप्टी फिफ्टी मुआवजे के चक्कर में तत्कालीन तहसीलदार एवं हल्का पटवारियों ने एक ही तारीख में बिना किसी आधार के कई लोगों के नाम कर दिया नामांतरण
भू-माफियाओं ने कभी उप मुख्य अभियंता निर्माण पश्चिम मध्य रेल्वे जबलपुर के नाम से लिया मुआवजा तो दुवारा भारत सरकार रेल मंत्रालय ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन के नाम लिया गया मुआवजा
भूमि अधिग्रहण मुआवजे का हवाला खसरे के कालम 05 में है दर्ज,मुआवजा लेने के बाद भी भू-माफियाओं ने बैंकों में रख दिया गिरवी जिसका खसरे के कालम 12 में है उल्लेख
करोड़ों रुपए के मुआवजे के चक्कर में रातों रात एक ही भूमि के हो गयें सैकड़ों बटांकन नामांतरण में डाला गया फर्जी विक्रय पत्र संख्या और तारीख का नहीं है अता पता
नामांतरण पंजी वर्ष 2015-16,2016-17,2017-18 की हो उच्च स्तरीय जांच तब हो जायेगा दूध का दूध और पानी का पानी
भारतीय किसान यूनियन टिकैत के प्रदेश प्रवक्ता ने उठाया मामला
MP REWA NEWS TODAY : मामला म.प्र.के रीवा संभाग के तीन जिलों का है जहां पर रीवा से लेकर सीधी सिंगरौली ललितपुर रेल लाइन का काम चल रहा है हर जिले में रेल विभाग और किसानों के बीच मुआवजा वितरण को लेकर विवाद छिण चुका है इस मौके का फायदा उठाकर भू-माफियाओं ने राजस्व विभाग से सांठगांठ कर दोहरा लिया गया मुआवजा,एक बार उप मुख्य अभियंता निर्माण पश्चिम मध्य रेल्वे जबलपुर के नाम मुआवजा लिया और उसी भूमि के मुआवजा खाते में आने के बाद रातों रात फिर से उसी भूमि क्र.का सैकड़ों बटांक करवाकर फिर कुछ दिनों के बाद भारत सरकार रेल मंत्रालय ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन का मुआवजा लिया जाता है यह आरोप भारतीय किसान यूनियन टिकैत म.प्र.के प्रदेश प्रवक्ता विश्वनाथ पटेल चोटीवाला ने लगाते हुए कहा कि इसका हवाला खसरे के कालम 05 एवं 12 में अभी भी दर्ज है,
और तो और मुआवजा लेने के बाद उसी भूमि को वही भूमि स्वामी फिर से पंजाब नेशनल बैंक शाखा सीधी में गिरवी रख कर बैंक से क़र्ज़ ले लिया गया है और शासन प्रशासन को खबर तक नहीं हम आपको सिंगरौली ललितपुर रेल लाइन के मुआवजे का एक छोटा सा उदाहरण बता रहा हूं सीधी जिले के तहसील गोपद बनास के मौजा नौढ़िया के खसरा क्र.661,670,725,838,839,840 अन्य भूमियों के वर्ष 1972-73 अधिकार अभिलेख में किसी के नाम दर्ज अभिलेख था और फिर 2015-16 में तो कुछ 2016-17 में तो कुछ 2017-18 में किसी और के नाम से फर्जी विक्रय पत्र का हवाला देकर नामांतरण पंजी के माध्यम से बिना किसी आधार के ही सैकड़ों लोगों के नाम नामांतरण कर दिया गया,

नामांतरण पंजी के कालम 06 में जरिए ई विक्रय पत्र के संख्या का हवाला तो राजस्व विभाग द्वारा दिया गया लेकिन विक्रय पत्र का दिनांक का हवाला देना भूल गये ताज्जुब की बात यह है कि जब ई पंजियन विक्रय पत्र की शुरुआत भी नहीं हुई थी तब कहां से एम पी 4184120 15 ए 1174… वगैरह वगैरह विक्रय पत्र संख्या डाला गया,इसका मतलब है कि नामांतरण पंजी आज बनाई गई और तारीख पिछली डाली गई है नामांतरण पंजी में विक्रेता कौन है न उसका नाम पता और न ही तारीख का उल्लेख किया गया है
इस तरह से फर्जी विक्रय पत्र के सहारे नामांतरण कर करोंड़ों रुपए की स्टांप ड्यूटी की चोरी की गयी और दूसरे तरफ भू-माफियों ने सरकार के आंखों में धूल झोंक कर एक ही जमीन के दोहरे मुआवजा के चक्कर में असली किसान पिस रहा है भू-माफियाओं ने सिंगरौली सीधी से लेकर रीवा तक भ्रष्टाचार की लंबी पारी खेल चुके हैं इसकी एक एक बिंदुओं पर बारीकी से जांच होनी चाहिए चाहे वह सीधी के नौढ़िया का मामला हो चुरहट,या सिंगरौली के तहसील देवसर के कर्री का और दोषी पाये जाने पर सरकार के साथ धोखाधड़ी करने के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए,ताकि भू – माफिया भ्रष्ट राजस्व विभाग के अधिकारी दुबारा इस तरह की हरकत न करें।
भवदीय
विश्वनाथ पटेल चोटीवाला
प्रदेश प्रवक्ता
भारतीय किसान यूनियन टिकैत (म.प्र.)
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