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PM MODI के इस फैसले से बीजेपी नेताओं में दहशत

MP NEWS TODAY : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में रण संग्राम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से उड़ा रही बागियों की नींद, परिवारवाद पर लगा ब्रेक उत्तर प्रदेश चुनाव में दिखा असर।

MP REWA NEWS TODAY IN HINDI विधानसभा चुनाव के रण में चार राज्यों से भाजपा द्वारा भगवा परचम फहराने के बाद अगले मिशन में जुट गई है। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इन राज्यों में भी पार्टी उसी रणनीति के तहत काम करेगी जो उत्तर प्रदेश चुनावों में अपनाई गई थी। इसमें सबसे अहम सांसद पुत्रों को विधायकी का टिकट नहीं दिए जाने वाले जैसे सख्त निर्णय भी शामिल हैं।


विधानसभा चुनावों में मिली बड़ी जीत के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद को बढ़ावा न देने को भाजपा की उपलब्धि करार दिया है। वह कह चुके हैं कि कई सांसद पुत्रों के टिकट उन्होंने खुद काटे हैं।

ऐसे में मध्य प्रदेश में पार्टी के दिग्गजों पर अपनी राजनीतिक विरासत पुत्रों को सौंपने की मंशा पर संकट गहरता हुआ नजर आ रहा है। अब तक लगभग नौ नेता अपने बच्चों के लिए जमीन भी तैयार कर चुके हैं।

चुनाव में मौका देकर परीक्षण होना ही शेष है। यदि परिवारवाद पर ब्रेक लगाने का असर टिकट वितरण पर दिखाई दिया, तो इन दिग्गजों और उनके पुत्रों के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है। इस साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के 15 महीने को छोड़ दिया जाए, तो करीब दो दशक से भाजपा ही सरकार में है और संगठन पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।

ऐसे में कई दिग्गजों को उनकी अपेक्षा के मुताबिक अवसर नहीं मिले और कई ऐसे दिग्गज हैं, जो अपने परिजनों को राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए भरपूर तैयारी कर चुके हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का संदेश उन दिग्गज नेताओं की चिंताएं बढ़ा रहा है, जिन्होंने अपने परिजनों के लिए पहले से तैयारी कर रखी है।

मध्य प्रदेश में दूसरे दलों से आ रहे नेताओं पर पाबंदी लगाई है l परिवारवाद पर ब्रेक लगाया गया है, सीएम शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर, मध्यप्रदेश शासन में मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, मंत्री कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, भाजपा के कद्दावर नेता गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार,

गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के नाम शामिल हैं l क्षेत्रीय पार्टियों को घेरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग हर चुनाव में परिवारवाद को मुद्दा बनाया है। इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देशभर में बड़ा नुकसान हुआ।

साथ ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी तो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल को भी परिवारवाद के मुद्दे से नुकसान उठाना पड़ा। क्षेत्रीय पार्टियां का अधिकांश अपने नेतृत्व वाले परिवारों के इर्द गिर्द होता है। जबकि भाजपा में ऐसा बिल्कुल नहीं हैं l अगले दो सालों में देश के प्रमुख बड़े राज्यों सहित लोकसभा के चुनाव होने हैं।

विकास कार्यों और मोदी लहर के आगे कोई भी चुनाव अब कठिन नहीं रहा, लेकिन पार्टी कोई चूक भी नहीं करना चाहती है। इसलिए भाजपा अगले कुछ वर्षों तक परिवारवाद को निशाने पर रखेगी। इस सफल फार्मूले के साथ भाजपा या कहें नरेंद्र मोदी जरा भी समझौता करने के मूड में नहीं हैं।

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