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बीजेपी के लिए प्रज्ञा त्रिपाठी का टिकट काटना पड़ा महंगा,
▪️अजय मिश्रा बाबा मेयर बने
रीवा। Rewa Nikay Election Result 2022: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में 20 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम सामने आए. जो एकदम से चौंकाने वाले थे.
जहां पर महापौर पद के लिए एक तरफा कांग्रेश के अजय मिश्रा बाबा चुने गए. अजय मिश्रा बाबा बीजेपी प्रत्याशी प्रमोद व्यास को लगभग 10000 वोटों से हराकर बीजेपी का किला ढहा दिया है, कहा जा रहा है कि बीजेपी अपने अंतर्विरोधों के कारण हारी है, बीजेपी की तरफ से पहले प्रज्ञा त्रिपाठी को टिकट दिया जाना था,
लेकिन ऐन वक्त पर राजेंद्र शुक्ला के कहने पर प्रमोध व्यास को टिकट दिया गया, जिसके कारण भाजपा में पार्टी के अंदर ही विरोध का झंडा बुलंद हो गया. और लगभग 24 सालों से बीजेपी का किला रहा रीवा ढह गया, चुनाव नतीजों के बाद अब बारी जिम्मेदारी की है, आखिर पार्टी किन वजहों से चुनाव हारी, और अगर चुनावी समीक्षा की जाएगी, तो उंगली राजेंद्र शुक्ल पर भी उठेगी.
राजेन्द्र शुक्ला कभी अपने दम पर चुनाव जीते ही नहीं। कांग्रेसियों की कमजोरी,नाकामी और भीतरघात की वजह से जीतते आये है। पुष्पराज की खामी का लाभ राजेन्द्र को मिला और वे जीत गये।
आज मेयर चुनाव में केवल बीजेपी का संगठन चुनाव नहीं हारा बल्कि, सांसद जनार्दन मिश्रा और पूर्व मंत्री राजेन्द शुक्ला दोनों हार गये। बीजेपी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा ये हार उसका खुलासा है।
अभी तक रीवा में विधायक राजेन्द्र ही सब कुछ थे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी.डी शर्मा को क्या जवाब देंगे राजेन्द्र और जनार्दन,स्वयं भी नहीं जानते। अभय मिश्रा ने कहा था,अजय मिश्रा बाबा कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं,चुनाव तो मैं लड़़ रहा हूँ। राजेन्द्र शुक्ला बहुत हल्के में अभय की बात ले लिये।
गौरतलब है,कि विधान सभा चुनाव में शहर में बीजेपी दस हजार वोटों से जीती थी वही मेयर चुनाव में इतने ही वोट से हार गई। यानी कांग्रेस का वोट इस बार बीजेपी को नहीं मिला। और अभय मिश्रा ने राजेन्द्र शुक्ला से अपनी हार का बदला ले लिया मेयर चुनाव में।
▪️विधान सभा हारेंगे..
दो बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का संभागीय मुख्यालय रीवा में आना इस बात का संकेत था कि बीजेपी हार रही है। पंचायत चुनाव में बीजेपी विधायक के नात रिश्तेदार और विधान सभा अध्यक्ष के बेटे का चुनाव हारना बताता है,कि बीजेपी का संगठन कमजोर हुआ है। शहर में भी बीजेपी का संगठन कमजोर है। यानी अगला विधान सभा चुनाव राजेन्द्र शुक्ला के लिए बेहद कठिन होगा।
दस हजार शहर में उनके वोट कम हो गये। ग्रामीण में भी यही स्थिति। यानी राजेन्द्र शुक्ला अगला विधान सभा चुनाव करीब 20-25 हजार वोटों से हार सकते हैँ.सीमेंट विकास नहीं होता,वोट यही कहता है।
राजेन्द्र शुक्ला की राजनीतिक रणनीति अब खोखली हो गई है। जनार्दन मिश्रा का सियासी भविष्य भी दांव पर है। कब तक मोदी,राजेन्द्र और शिवराज के दम पर जीतेंगे? उनका अपना राजनीतिक घनत्व अब कांग्रेस के स्केल में नहीं है। जिले में 2023 के चुनाव में बीजेपी तीन से चार सीट खो देगी।
▪️भीतरघात आखिर क्यों..
राजेन्द्र शुक्ला यदि प्रदेश अध्यक्ष वी.डी शर्मा से कहते हैं,भितरघात की वजह से मेयर चुनाव हारें हैं तो यह जवाब उनके लिए घातक साबित होगा। क्यों कि एंटीइनकमबैसी की तपिश विधान सभा चुनाव तक बढ़ जायेगी। मेयर चुनाव जिस रणनीति से अभय मिश्रा,राजेन्द्र शर्मा और पूरी कांग्रेस लड़ी,
यदि यही स्थिति पिछली बार के विधान सभा में भी कांग्रेस दिखाती तो अभय मिश्रा चुनाव जीत जाते। राजेन्द्र शुक्ला को इस बात का घमंड हो गया, कि जब तक कांग्रेस में फूट रहेगी,उन्हें कोई शह नही दे सकता। शहडोल में रीवा के कांग्रेसी पैसा लेकर लौट आये थे। कांग्रेस उनका पुराना खेमा है। वे जानते हैं,पैसा देकर कुछ भी कांग्रेस में किया जा सकता है। लीेकिन इस बार जिन कांग्रेसियों के दम पर चुनाव जीतते आये,वही मेयर चुनाव में उन्हें और वीडी शर्मा के संगठन को हरा दिये।
▪️मामा का गाना नापसंद..
शिवराज सिंह चौहान की चिकनी बातों का सम्मोहन अब जनता पर से उतर गया है। उन्होने कहा कि रीवा को दस साल में प्रदेश का नम्बर एक का जिला बना देंगे। यह तभी हो सकता है, जब इंदौर और भोपाल में दस साल तक विकास की खिड़की बंद हो जाये। सिंगरौली को सिंगापुर बना रहे थे,वहांँ आम आदमी पार्टी आ गई और शिवराज सिंगरौली को सिंगापुर बनाते रह गये। दरअसल, राजेन्द्र शुक्ला की योजना से जनता अघा गई थी।
17 साल से नेशनल हाइवे बन रही है,पर बनी नहीं। बनाना और तोड़ना,यह काम राजेन्द्र ज्यादा किये। अब कांग्रेस का मेयर होने से राजेन्द्र शुक्ला की राजनीतिक योजनायें अपाहिज हो जाये तो आश्चर्य नहीं।
बहरहाल आठ बीजेपी के विधायक,सांसद,प्रदेश अध्यक्ष वी.डी.शर्मा और मुख्यमंत्री का रोड शो कोई काम नहीं आया। राजेन्द्र शुक्ला नहीं बदले तो उनकी राजनीति का अंत,श्रीनिवास तिवारी से भी बुरा हो सकता है। Rewa Collector Order : रीवा कलेक्टर ने बैन किया ये स्कूली वाहन