शब-ए-बारात 25 फरवरी को, घर-घर होगी फातेहा ख्वानी
Shab-e-Baraat on 25th February, Fateha Khawani will be organized in every house.
rewa news : रीवा, 22 फरवरी 2024। शाबान का चॉद दिखने के पश्चात् मुस्लिम समाज रमजान के महीने का बेसब्री से इन्तेजार करने लगता है, शाबान के महीने में एक ऐसी रात आती है, जिसमें ईश्वर जिन्दगी-मौत, रिज्क (रोजी) वगैरह का फैसला करता है। 25 फरवरी को वह मुकद्दस रात शब-ए-बारात तमाम मुसलमानो के बीच आ गई है.
जिसका हम लोग साल भर इन्तजार करते है, साथ ही इसी दिन में हलवे की फोतेहा हज़रत ओवैश करनी रहमतुल्लाह अलैह के नाम से पूरे अकीदतमन्दी के साथ दिलाई जाती है। अगर इस रात सच्चे दिल से अल्लाह पाक की इबादत और अपने गुनाहों की तौबा की जाय तो ऐसे में अल्लाह पाक सभी गुनाहों को माफ कर देता है।
उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी रीवा के संस्थापक मो0 शुऐब खान, मोहसिन खान, अध्यक्ष मकदूम खान एवं मीडिया प्रभारी अजहरूद्दीन खान अज्जू ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। इस दिन मुस्लिम समाज के लोग हजरत ओवैश करनी रहमतुल्ला अलैह की याद में फातेहाख्वानी का एहतेमाम पूरे अकीदतमन्दी के साथ करते है, ये वो मुकद्दश हस्ती है .
जिसने यह सुना कि हुजूर पाक सल्ल0 के जंगे ओहद में दांत शहीद हो गये है, जब आपको यह बात मालूम हुई तो उन्होने सोचा कि हुजूर का कौनसा दांत शहीद हुआ होगा? इस वजह से आपने अपने पूरे दांत शहीद (तोड़ दिये) कर दिये, यह थी उनकी मोहब्बत का आलम। हजरत ओवैश करनी रह0 अलैह करन शहर के रहने वाले थे, आप एक मर्तबा हुजूर पाक सल्ल0 से मिलने के लिये गये थे, लेकिन उनकी मुलाकात हुजूर पाक से नही हो पाई, आप वापस चले आये थे, जब आप सल्ल0 अलैहे वसल्लम को इस बात का पता चला तो आपने हजरत उमर फारूक व हजरत अली रजि0 से कहा कि तुम्हारे दौड़ में एक शख्स यहां आयेगा जिसका नाम ओवैश बिन आमिर होगा, उनका रंग काला होगा, कद दर्मियानी, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वो आयें तो तुम दोनो उनसे मेरी उम्मत के लिये दुआ कराना, क्योंकि ओवैश ने अपनी बूढ़ी और अंधी मॉ की ऐसी खिदमत की है कि जब भी वो दुआ के लिये हाथ उठाते हैं तो अल्लाह उनकी दुआ कभी रदद् नही करता।
इससे पता यह चलता है कि हम भी अपने मॉ-बाप की सेवा हमेशा करे। खान द्वय ने बताया कि शाबान की पन्द्रहवीं शब को मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदो में जगते है और रात भर ईश्वर की इबादत करते है। बाद नमाज मगरिब तीन बार सूरे यासीन पढ़ना बहुत ही अफजल है। इस रात अल्लाह तआला जिन्दगी, मौत, रिज्क वगैरह का फैसला करता है, मुस्लिम समाज के लोग ईश्वर से अपने गुनाहो की तौबा करते है। कज़ा-ए-उमरी नमाज़, नफिल नमाज एवं कुरआन पाक की इबादत पूरी रात जग कर करते है और बाद नमाज फजिर कब्रिस्तान जाते है। इस शब को पूरी अकीदतमन्दी के साथ मनाने की अपील मो0 शुऐब खान, मोहसिन खान, मकदूम खान, मुस्तहाक खान, अजहरूद्दीन, मुस्ताक खान आरिफ खान, लईक खान, गुलमोहम्मद अंसारी, इकबाल अहमद खान, पेशईमाम जान मोहम्मद, माजिद खान, वाजिद खान, अयूब खान, हसीब खान राज, राशिद खान, वाशिद खान गोलू, वाइज खान, मानू खान, सईद खान आदि ने की है।
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