संजय गांधी हॉस्पिटल की लापरवाही के कारण हुई थी निर्मला मिश्रा की मौत स्तुति Rewa: Death due to power failure in ICU in Sanjay Gandhi Hospital: Family alleges
Rewa Sanjay Gandhi News: 4 घंटे तक बंद रही हॉस्पिटल के आईसीयू की बिजली
रात्रि के समय ड्यूटी में तैनात नहीं रहते डॉक्टर: स्वाति
Rewa Sidhi News:सीधी। संभाग भर से गंभीर रोगों के उपचार के लिए मरीज संजय गांधी हॉस्पिटल पहुंचते हैं। किंतु हॉस्पिटल की लचर व्यवस्था एवं डॉक्टरों की गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते मरीज स्वस्थ्य होकर घर नहीं पहुंच पाते और उपचार के दौरान ही उनकी हॉस्पिटल में मृत्यु हो जाती है।
ऐसा ही एक मामला सीधी जिले का प्रकाश में आया है। जहां संजय गांधी हॉस्पिटल में उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती निर्मला मिश्रा की बिजली सप्लाई बंद होने के कारण मृत्यु हो गई।
जिले के वरिष्ट पत्रकार स्तुति मिश्रा ने स्थानीय उच्च विश्राम गृह में मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए बताया कि मेरी पत्नी स्व. निर्मला मिश्रा का स्वास्थ्य खराब होने के कारण जिला हॉस्पिटल सीधी से संजय गांधी हॉस्पिटल रीवा के लिए रेफर कर दिया गया था।
जहां उपचार हेतु आईसीयू में रखा गया था। इसी दौरान 22 एवं 23 नवंबर की दरम्यानी रात में 12 से सुबह 4 बजे तक आईसीयू की विद्युत सप्लाई बंद हो गई। वेल्टीनेटर बैकअप न होने के कारण मेरी पत्नी का ऑक्सीजन लेवल निरंतर घटता चला गया।
इस बात की निरंतर जानकारी मेरे द्वारा ड्यूटी पर तैनात संजय गांधी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को दी गई। किंतु उन्होने अपनी असमर्थता जताते हुए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की तब मैने वरिष्ट डॉक्टरों को लगातार 4 घंटे तक संपर्क करनें की कोशिस की किंतु किसी भी वरिष्ट चिकित्सकों ने मेरी सहायता नहीं की।
संजय गांधी हॉस्पिटल के प्रबंधन की लापरवाही के चलते मेरी पत्नी स्व. निर्मला मिश्रा की मृत्यु हो गई। श्री मिश्रा ने बताया कि मेरे जैसे सजग व्यक्ति के मरीजों की यह दशा हुई तो गरीब और गांव से आने वाले मरीजों की क्या स्थिति होती होगी। उन्होने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करानें के लिए मेडिकल कॉलेज व जिला हॉस्पिटल का संचालन करा रही है। किंतु हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज में सभी उपकरण होने के बाद भी मरीजों को जीवन दान नहीं मिल रहा है।
वरिष्ट पत्रकार स्तुति मिश्रा ने बताया कि शासकीय हॉस्पिटलों में पदस्थ चिकित्सकों की हालत काफी दयनीय होती जा रही है। यदि किसी मरीज को एक चिकित्सक ने देखकर भर्ती करा दिया तो उस मरीज का उपचार दूसरा डॉक्टर नहीं करता मरीज की स्थिति चाहे कितनी भी गंभीर हो।
ऐसी दशा में मरीज व उनके परिजन भगवान भरोसे हॉस्पिटल में डटे रहते है। परिजनों को अपने मरीजों का उपचार कराने से मतलब है। चाहे जो भी चिकित्सक करे, शासकीय चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों के आपसी मतभेद का हरजाना मरीजों को उठाना पड़ रहा है। शासकीय हॉस्पिटलों में पदस्थ चिकित्सक निजी नर्सिंग होमों में बेहतर उपचार करते हैं। किंतु शासकीय हॉस्पिटलों में महज औपचारिकता तक सीमित होकर रह गए हैं
यह बडे ही दुर्भाग्य की बात है। उन्होने कहा कि मेरे साथ जो दुर्घटना घटित हुई है वह अन्य किसी मरीज के साथ न घटे इसके लिए मैं संजय गांधी हॉस्पिटल के प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई लडूंगा। उन्होने उक्त मामले की न्यायिक जांच करानें एवं दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाई करानें की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से की है।
संजय गांधी हॉस्पिटल के प्रबंधन के कारण मौत के आगोस में आई स्व. श्रीमती निर्मला मिश्रा की पुत्री स्वाति मिश्रा ने बताया कि जब मेरी मां को आईसीयू में भर्ती कर उपचार किया जा रहा था तो मैं अपनी मां की देख-रेख में वहीं थी। हॉस्पिटल में कोई भी वरिष्ट चिकित्सक उपचार के लिए नहीं आते थे। जूनियर डॉक्टरों के भरोसे मरीजों का उपचार होता है।
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