Sidhi MADHYAPRADESH : थमती हुई नजर नहीं आ रही सैनिक फूड कंपनी की तानाशाही निर्धारित सीमा क्षेत्र से बाहर भी लगातार जारी है कंपनी का उत्खनन।
Sidhi Madhyapradesh news today: सीधी। जी हां आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के सीधी (Sidhi )जिले की जिस सीधी जिले को मामा शिवराज गोद में लिए हैं
सोचिए जिस जिले को प्रदेश के मुखिया अगर गोद लिए हो
भला उस जिले में किसी भी प्रकार की अराजकता, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, नियमों का उल्लंघन, अवैध उत्खनन जैसे भ्रष्टाचार कैसे हो सकता है।
।लेकिन मामा के सरकार में सब कुछ संभव है।
बघेली में एक कहावत है घर के बच्चे गोही चाटे मामा खाए अमावट
यह कहावत मामा के सरकार में साकार होती दिख रही
बताते चलें कि,जिले में सेंड माइंस खदानों से रेत निकासी का ठेका सैनिक फूड जैसे कंपनी को मिला है।
Sidhi news today : लेकिन कंपनी और सरकार के बीच रेत निकासी व उत्खनन को लेकर एनजीटी कुछ नियम व शर्ते हैं।
जैसा कि कंपनी निर्धारित मापदंड से ज्यादा गहरी खुदाई नहीं कर सकती, खदान में मशीनों का उपयोग नहीं किया जा सकता, गाड़ियां सिर्फ लेबरों द्वारा ही लोड की जाएगी वो भी निर्धारित सीमा क्षेत्र के अंदर ही कंपनी रेत का खनन कर सकती है।
खदान के अंदर जाने वाली गाड़ियां फिटनिस होनी चाहिए, नंबर प्लेट आगे और पीछे बराबर होने चाहिए,, गाड़ी के अंदर फायर वाटला होना चाहिए, गाड़ी को ड्राइव कर रहे ड्राइवर यूनिफॉर्म में होना चाहिए, गाड़ी खदान से निकलने के पहले कांटे पर वजन कर खदान से बाहर करनी चाहिए।
लेकिन इस तरह के नियम व कानून कायदे का पालन होना कहीं भी आपको नजर नहीं आएगा कंपनी पूरा तानाशाह बन चुकी है जो मर्जी है वही करती है।
कोई लेबर खदान में काम करने की अगर बात करता है तो कंपनी खदान में दफनाने जैसी धमकियां दे देती है जबकि प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा जैसी योजना चलाकर हर गरीब को गांव घर में काम देने का वायदा करती है चाहे वो रेत खदान हो या अन्य कोई सरकारी योजनाएं उसी में रोजगार देकर पलायन रोकने का बात करती है
लेकिन ऐसी कुछ बातें धरातल पर कहीं भी आपको नजर नहीं आएगी आज के दौर में चाहे वनांचल क्षेत्र कुसमी की बात करें या जिले की किसी भी क्षेत्र की हर जगह से गरीब बेसहारा मजदूर घर से 3 से 5000 किलोमीटर की दूरी पर रह कर जीविकोपार्जन किया करते हैं।
लोगों का कहना है कि कंपनी की मोटी रकम जिले के छोटे से छोटे कर्मचारियों से लेकर प्रदेश के मुखिया तक यह बजट पहुंचाती है इसलिए कंपनी की जो मर्जी पड़ती है वही करती है।
जिले में कई राजनीतिक संगठन कई बार रेत के मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन अनशन भी कर चुके हैं लेकिन कंपनी की मोटी रकम की इतनी वजन रहती है
कि फिर दोबारा कंपनी के विरुद्ध आवाज उठाने की उनकी हिम्मत भी नहीं पड़ती है।
स्क्रीन पर चल रहे वीडियो में आप साफ तौर पर देख सकते हैं किस तरह नदी में बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर गहरी खुदाई कर गोपद नदी के सीने को छलनी किया जा रहा हैं वीडियो में आपको मशीनों और बड़ी-बड़ी गाड़ियों के सिवा कहीं भी लेबर की एक टुकड़ी भी नजर नहीं आएगी।
नदियों के किनारे बसे गांवों से लेकर अन्य ग्राम पंचायतों को रेत मुफ्त देने का वायदा सरकार के द्वारा किया गया था लेकिन आपको हायवा ट्रक के सिवा कहीं भी छोटे वाहन खदान में नजर नहीं आएंगे सरकार के द्वारा जिस तरह से आवास बनाने को पैसा दिया जाता है लेकिन आप रेत की कीमत सुनेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे भला कैसे एक गरीब पीड़ित वेवस पीएम आवास बना सकता है इस तरह की महंगाई में।
एक तरफ सरकार पीएम आवास जैसी लॉलीपॉप देकर जनता को बरगला रही वहीं दूसरी ओर रेत लोहा जैसे गृह निर्माण सामग्री की कीमत आसमान छू रही है
ऐसे में अति गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग कैसे आशियाना बसाकर जीवन यापन कर सकते हैं।
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