कुमार विश्वास एवं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में केपी त्रिपाठी रहे मौजूद, पुलिस के आला अधिकारियों को नहीं दिखे विधायक
KP TRIPATHI REWA news: रीवा। भाजपा के सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़़ गई है। जनपद पंचायत सीईओ एस के मिश्रा के साथ मारपीट मामले में न्यायालय ने उन्हें आरोपी बना लिया है। न्यायालय ने जिन मामलों में विधायक को आरोपी बनाया है इसमें कई गैरजमानती धाराए लगाई है। वहीं न्यायालय ने सीइओ के परिवाद को स्वीकार करते पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा कि विधायक के विरुद्ध पर्याप्त आधार होने के बावजूद पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया है।
बता दें कि जनपद पंचायत सीइओ ने अपने ऊपर प्राणघातक हमले के मामले पुलिस द्वारा विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय में परिवाद दायर किया था।इस परिवाद को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने इस मामले में विधायक को धारा 120 बी 341, 342, 294, 147, 148, 149, 353, 332, 325, 333 की धारा के आरोपी बनाया है.
ऐसे में इन धाराए लगाने से विधायक के पी त्रिपाठी की मुश्किल बढ़ गई है। इन धाराओं में विधायक को आग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिलने पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।
गौरतलब है कि सीईओ ने मारपीट के मामले में कई लोगों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये थे और वह जेल में निरूद्ध भी हैं। लेकिन सीइओ के आरोपों के बावजूद विधायक पर मामला दर्ज नहीं किया था।
इस पर सीइओ ने न्यायालय में परिवाद दायर किया। आपको बता दें न्यायालय ने 8 दिसंबर को सेमरिया विधायक को पेश करने के लिए कहा था लेकिन सुनवाई के दौरान सेमरिया पुलिस ने उनके रीवा मे न होने की जानकारी देते हुए कहा कि सम्मन नही तमिल हुआ।
अब 22 दिसम्बर को पेश करने के लिए आदेशित किया गया है। बता दें कि जनपद पंचायत सीईओ एस के मिश्रा के अधिवक्ता राजेश सिंह द्वारा दी गई जानकारी की पुलिस ने यह खाते हुए अंगली पेसी का समय मांगा कि वह घर गए लेकिन केपी त्रिपाठी मिले नही। वह रीवा मे नही हैं रीवा से बाहर हैं। जैसे ही यह बात सामने आइ चर्चाओ का माहौल गर्म हो गया। चर्चाओ मे कहा जा रहा है कि मशहूर कवि कुमार विश्वास का कार्यक्रम गत 3 दिसम्बर को हुआ था जिसमे बतौर अतिथि केपी त्रिपाठी शामिल हैं थे।
इतना ही नही वह घंटो कार्यक्रम मे शामिल भी रहे व पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के बगल मे बैठकर कविताएँ भी सुनते रहे। इस कार्यक्रम मे प्रशासनिक अधिकारी सहित पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे लेकिन इसके बाद भी वह पुलिस को नही मिले यह बात समझ से परे है। इसी तरह केंद्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मंच पर केपी त्रिपाठी मौजूद रहे !
इस दौरान पूरे कार्यक्रम में प्रशासनिक एवं पुलिस के आला अधिकारियों के सामने ही विधायक जी चहल कदमी करते रहे ! लेकिन पुलिस को विधायक के पी त्रिपाठी नहीं दिखे! सवाल यह उठता है कि पुलिस के आला अधिकारी ऐसे मामलों में अपने हाथ क्यों बांध लेते हैं ! साइबर सेल और मुखबिर तंत्र फेल क्यों हो जाता है..?