धर्मेंद्र सिंह बघेल पत्रकार
SIDHI NEWS MP: पिछले वर्ष 26 नवंबर 2020 से शुरू होकर 26 नाबम्बर 2021 को 12 माह पूरे करने वाले ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर आज संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा कलेक्ट्रेट सीधी में धरना दिया गया। धरने के वक्ताओं ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार किसानों से सीघ्र बात करे और किसानों की मांगों को पूरा करे।
MP SIDHI : धरने में अपनी बात रखते हुए टोको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि पिछले वर्ष 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं सहित देश भर में चलाए जा रहे आंदोलन का मुख्य लक्ष्य तीनो किसान विरोधी काले कानून को वापस करने, देश के सभी किसानों की कर्जा मुक्ति और लाभकारी मूल्य की गारंटी, विद्युत संशोधन विधेयक
2020/2021 की वापसी, किसानों को दिल्ली वायु गुणवत्ता विनियमन से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के दायरे से बाहर रखने की मांग थी। मोदी जी अपने लादे गए काले कृषि कानूनों को जो किसानों ने मांगा नही उन्हें वपस कर समाधान देने का भ्रम फैला रहे है। किसान वर्षो से समर्थन मूल्य के गारंटी के कानून के लिए संघर्ष कर रहे है। जब देश में किसानों की
समस्याएं और आत्महत्याएं हद से अधिक बढ़ गई तो 2004 में इसके निराकरण के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग बनाया गया ज़िसके अध्यक्ष थे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन। आयोग ने अक्टूबर 2006 में सरकार को रिपोर्ट सौंप कर अपने निष्कर्ष और परामर्श दिए। आयोग ने कहा कि लगातार विफल होती खेती से पैदा होने वाली आर्थिक समस्या और कर्जे के
कारण ही किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इसका एक ही निदान है कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलवाने की जिम्मेदारी सरकार उठाएं और इसके लिए हर उपज का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार निर्धारित करें और यह लागत से डेढ़ गुना होना चाहिए। आयोग ने लागत मूल्य तीन प्रकार से निकले- पहला A2 यह खेती की बुनियादी लागत है जिसमे
बीज, खाद, बिजली, कीटनाशक की लागत आती है। दूसरा A2 +FL इसमें बुनियादी लागत के सभी मदों के साथ खेती में पारिवारिक श्रम का मूल्य भी जोड़ा जाता है। FL से आशय पारिवारिक श्रम से है। तीसरा:- C2 इसमें बुनियादी लागत और पारिवारिक श्रम के साथ खेती के लिए लिए गए कर्ज का ब्याज और भूमि का किराया भी शामिल होता है।
इस आयोग की सबसे प्रमुख अनुशंसा यह थी कि किसानों को खेती के लागत मूल्य C2 से 50% ऊपर न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार से मिलना चाहिए। तब से सभी किसान संगठन इस मांग को लेकर डटे हुए हैं की स्वामीनाथन आयोग की
अनुशंसाओं के अनुसार उनको उनकी उपज का सही मूल्य मिले। यदि 2006 में यह रिपोर्ट लागू कर दी जाती तो 2020 तक किसानों को 15 से 18 लाख करोड़ रूपया अपनी उपज का दाम अधिक मिलता। किसानों पर कुल कर्ज 6.35 लाख करोड़ रुपए का है यदि किसानों को यह आमदनी मिल गई होती तो वे ऋण मुक्त भी हो गए होते और उन्हें ऊपर से 10 से 12 लाख करोड़ रुपए की अधिक आय हो गई होती और वे
खुशहाल बन गए होते। आयोग की रिपोर्ट के अगले 8 साल तक कांग्रेश की सरकार रही लेकिन इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में रखा गया। नरेंद्र मोदी ने 2014 में पूरे देश में घूम घूम कर किसानों से वादा किया कि सत्ता में आने पर इस रिपोर्ट को लागू करके किसानों की आय दोगुनी करेंगे। इससे प्रभावित होकर पूरे देश मे किसानों ने भाजपा का साथ दिया। 2014 में नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री बने और 2015 में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा कि इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया जा सकता है। यह वादा भी चुनावी जुमला निकला।
सभा को संबोधित करते हुए का• सुंदर सिंह ने कहा कि मोदी ने कॅरोना काल मे अध्यादेश द्वारा चोर रास्ते से कारपोरेट हितैसी तथा किसान विरोधी काले कृषि कानून लागू करके उद्योगपतियों की सरकार होने को साबित किया है। विरोध में किसान को
आंदोलन करते साल भर हो चुके है आज सीधी का यह धरना आंदोलन की पहली वर्षगांठ मनाने को हो रहा है।
सभा को समाज सेवी विष्णु बहादुर सिंह , समाजसेवी सरदार अजित सिंह, किसान एकता संघ के गंगा पांडेय, निसार आलम, आदिवासी एकता महा सभा के बलराज सिंह, क्रांतिकारी मोर्चा के शिवकुमार सिंह, केशकली सिंह, अजय सिंह ने संबोधित किया।
ALSO Rewa Accident : रीवा बोलेरो और बाइक की जोरदार टक्कर बाइक सवार की हुई मौत
#SIDHI, #MP,